*कर्मों का लेखा रखते हैं, चित्रगुप्त महाराज (गीत)*
कर्मों का लेखा रखते हैं, चित्रगुप्त महाराज (गीत)
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कर्मों का लेखा रखते हैं, चित्रगुप्त महाराज
(1)
सोच-समझ कर करो कर्म, सब लेखाबही निरखती
पाप-पुण्य के कोष्ठक में, हर सही-गलत को रखती
नहीं बचोगे उससे जो भी, कर्म करोगे आज
(2)
न्याय-देवता का आसन, ऊॅंचा सबसे कहलाता
मरण हुआ जिस-जिसका बॅंध कर, यहीं पाश में आता
चित्रगुप्त जी अंतर्यामी, जानें सारे राज
(3)
डरो बुरे कर्मों से आदत, रखो स्वच्छ शुभ सारी
पूजो चित्रगुप्त जी इनकी, महिमा अनुपम भारी
लेकर कलम-दवात-पत्र, यह करते रहते काज
कर्मों का लेखा रखते हैं, चित्रगुप्त महाराज
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451