कर्मों का फल भुगतना है
आज नहीं तो कल सबको
कर्मों का फल भुगतना है।
समय से टक्कर लेना क्या
जब समय के आगे झुकना है।
अरे मानव क्या सोच रहा
तेरा अभिमान बना रहे ।
कुकर्म किया और खुश रहा
पापों पर पर्दा पड़ा रहे।
तू चाहे तो भूल जा मगर
समय कभी ना चूकना है।
समय से टक्कर लेना क्या
जब समय के आगे झुकना है।
ईर्ष्या के जंजाल ने तुझको
पागल हाथी बना दिया
धन दौलत के लालच ने तुझको
कुमार्ग पर आगे बढ़ा दिया
अभी समय तेरा खुश हो ले मगर
समय चक्र तो चलना है।
समय से टक्कर लेना क्या
जब समय के आगे झुकना है।
-विष्णु प्रसाद ‘पाँचोटिया’