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27 Sep 2023 · 1 min read

कर्मफल

कौन चुराता नहीं चांदनी, धूप नहीं लेता है लूट
हम सब चोर लुटेरे ही हैं, रब देता है हमको छूट
पाप सभी धोते गंगा में, ललचाते हैं लखकर रूप
आप्तवचन का ढोल पीटते, बनकर विधर्मियों के भूप

गढ़ते हैं नित नई ऋचाएं, सब अपनी सुविधा अनुसार
मौका नहीं चूकते कोई, अगर मिले, करते व्यभिचार
त्यों-त्यों जुर्म ज्यादती बढ़ती, ज्यों-ज्यों बढ़ती जाती आय
और सजा से बचने के सब, अपनाते नित नए उपाय

फल कर्मानुसार हम सबको, करता है जब ईश प्रदान
तब शरणागत होते देखे, हमने बड़े-बड़े मतिमान
जुर्म किया तो नहीं बचोगे, लाठी उसकी बेआवाज
चाहे जितना पूजा कर लो, चाहे जितना पढ़ो नमाज

महेश चन्द्र त्रिपाठी

Language: Hindi
1 Like · 160 Views
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