कर्मफल का सिद्धांत
हुनर सड़कों पर जहाँ तमाशा किया करते हैं
किस्मत महलों में क्यूँ राज किया करते हैं…
कर्मों के हिसाब से सजता है प्रारब्ध सबका
जिसकी अनदेखी हम आज किया करते हैं…
सदा पूर्वजन्म के कर्मों का भी होता है लेखा
अतीत में भूल हुई,उलटकर किसी ने न देखा…
हुनरमंदों ने मां-बाप को कभी सताया होगा
वृद्धाश्रम में अपने मां-बाप को रुलाया होगा…
महलों में हंसता ऐ किस्मत, तू नाज न कर
मां बाप के अच्छे वचनों पे तू एतराज न कर…
अच्छे संस्कार को समझ ले तू शिक्षा का गहना
कह दे इंसानियत के बगैर हमें नहीं है रहना…
बहुएं देख लो तुम भी,अजीब किस्मत का खेला
कभी रस्सी पर चलता है तो कभी फरारी का रेला…
सास-ससुर भी रूप है,मां बाप का ही इस जग में
सदा सेवा भाव अर्पित करना,ना बिसरना मन में…
मौलिक और स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – १४/११/२०२४ ,
कार्तिक , शुक्ल पक्ष,चतुर्दशी ,बृहस्पतिवार
विक्रम संवत २०८१
मोबाइल न. – 8757227201
ई-मेल – mk65ktr@gmail.com