कर्मपथ
हे कर्मवीर तू कर्मपथ पर
बिन डगमगाए चल रहें
तो निश्चय करके रास्ते भी
बिन थकाएं बन रहे।
तू धेर्य अपना थाम कर
कर्तव्य करता यूं ही चल
सारे पड़ाव देख कर
तुझको,कहीं पर हट गए,
सुख का समुन्दर बहता चल
और दुख के बादल छट गए।
पैरों के छाले
कर तू,अपने सपनों के हवाले
फिर देख कैसे
मंज़िलें खोले सारे रुकावट के ताले।