कर्मठ बनिए
#दिनांक:-5/7/2024
#शीर्षक:-कर्मठ बनिए
निरन्तर लगाव का भाव रखना ,
हद और सरहद जमीन की होती है ।।1।
भारतीय अंधेरे भी हैं मुट्ठी बांधे ,
हाथापाई की झड़प चीन की होती है ।।2।
शब्द के प्रयोग से प्रभाव शून्य होता,
सम्मान सदैव मनहर मौन की होती है।।3।
हर युद्ध का पथप्रदर्शक धर्म रहा ,
अधिकांश वाद-विवाद कौम की होती है ।।4।
किस्मत जरूर एक मौका देती सबको,
यश, प्रशंसा निरन्तर मेहनत की होती है।।5।
जीभ तो हर जुबान में है बड़ी ,
पर बेहतरीन जवाब समय की होती है ।।6।
हमेशा न्यायोचित निष्कर्ष निकालना,
स्वास्थ्य की उत्तमता परहेज की होती है ।।7।
बराती, बाजे के साथ आते हैं आप ,
कोहिनूर के आगे चर्चा दहेज की होती है ।।8।
न करो कभी अन्न का अपमान तुम,
मेहनती रक्त की बूँद किसान की होती है ।।9।
कर्मठ बनिए जीत जरूर जाएगे ,
अदालत की वकालत भगवान की होती है ।।10।
(रचना स्वरचित, मौलिक और सर्वाधिकार सुरक्षित है)
प्रतिभा पाण्डेय “प्रति”
चेन्नई