कर्मठता के पर्याय : श्री शिव हरि गर्ग
कर्मठता के पर्याय : श्री शिव हरि गर्ग
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रामपुर के सार्वजनिक जीवन में सर्वाधिक सक्रिय तथा प्रभावशाली व्यक्तियों की अगर गिनती की जाए तो उसमें निश्चय ही श्री शिव हरि गर्ग का नाम सबसे ऊपर रहेगा । उनकी कर्मठता के क्या कहने ! पूरी तरह समाज को समर्पित व्यक्तित्व ! आज उनके न रहने से जो अभाव और खालीपन पैदा हुआ है ,वह एक न एक दिन भर तो जरूर जाएगा लेकिन फिर भी कमी हमेशा महसूस की जाएगी।
अपने पिता स्वर्गीय श्री देवीदयाल गर्ग की तरह ही उनमें कर्मठता का भाव विरासत में प्राप्त हुआ था। जहाँ एक ओर रामलीला के कार्य को देवी दयाल जी ने पूरी क्षमता और मनोयोग से हाथ में लेकर उसे उच्च शिखर पर पहुँचाया, उसी तरह यह कहना गलत न होगा कि शिव हरि गर्ग जी ने उस कार्य में मानो चार चाँद ही लगा दिए। रामलीला के विशाल भूखंड को आपने उपयोग की दृष्टि से देखा – परखा तथा एक नया सामाजिक कार्यक्रम रामलीला पब्लिक इंटर कॉलेज उसी स्थान पर खड़ा कर दिया । आज यह रामपुर की एक सुंदर तथा सक्रिय संस्था है। इसी तरह रामलीला के दर्शकों के लिए जहाँ अनेक दशक पूर्व लोहे की कुर्सियाँ बिछाकर रामलीला देखने की नई परिपाटी आपके पिताजी श्री देवी दयाल गर्ग जी के समय में आरंभ हुई थी और जो कि आसपास के जनपदों की दृष्टि से भी नयापन लिए थी, आपने उसमें एक चमत्कारी रूप से अनूठापन लाते हुए “उत्सव पैलेस” की परिकल्पना को ही साकार कर दिया। यह “उत्सव पैलेस” रामलीला के दर्शकों के लिए तथा रामलीला – मंडली के के लिए जहाँ एक ओर बहुत बड़े रामलीला – कक्ष के रूप में उपयोग में आया ,वहीं दूसरी ओर इसका लाभ रामपुर में होने वाले सामाजिक , राजनीतिक , सांस्कृतिक आदि कार्यक्रमों के लिए एक सुसज्जित सभा – कक्ष उपलब्ध होने के लिए भी होने लगा । आज इतना बड़ा ढका हुआ हॉल रामपुर शहर में तो क्या आसपास भी कोई दूसरा मुश्किल से ही नजर आएगा ।
रामलीला मैदान का इस तरह जो सदुपयोग हुआ ,उसके लिए श्री शिव हरि गर्ग जी को हमेशा याद किया जाता रहेगा । उत्सव पैलेस इतना सुंदर स्थान बन गया कि शादी – ब्याह के लिए भी यह उपयोग में आने लगा । आपने इसके प्रथम तल पर अनेक कमरे बनवाए तथा इस प्रकार विवाह में इसकी उपयोगिता बहुत बढ़ गई । बारिश के दिनों में जहाँ अच्छे से अच्छे होटल तक में दिक्कत और परेशानी पैदा हो जाती है ,वहाँ उत्सव पैलेस का सभागार मानो भगवान कृष्ण की उंगली पर टिका हुआ गोवर्धन है, जहाँ वर्षा का कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
श्री शिव हरि गर्ग का यह मिलनसार तथा सामाजिक व्यवहार ही था जिसने उन्हें सबका प्रिय बना दिया तथा उनके कार्यों में पूरा समाज अपनी शुभकामनाएँ उनके साथ लेकर खड़ा हो जाता था । इस तरह अद्भुत परिकल्पनाओं तथा उन को साकार करने की दृष्टि से आपका समाज में अद्भुत स्थान था। जिन चीजों को सोचा तक नहीं जा सकता था ,आपने उनकी परिकल्पना की और उन्हें साकार रूप दिया। एक प्रकार से जंगल में उत्सव पैलेस आपने खड़ा कर दिया था। यह प्रारंभ होने तक एक कठिन विचार जान पड़ता था।
आप एक कुशल प्रशासक भी थे ।जहाँ एक ओर आपके स्वभाव में मृदुता थी, वहीं दूसरी और अनुशासन की दृष्टि से जो कठोरता होनी चाहिए तथा कठिन निर्णय लेने की सामर्थ्य जरूरी होती है ,वह आप में बखूबी विद्यमान थी। मैंने अनेक अवसरों पर आपको बहुत सख्ती के साथ अनुशासन के पक्ष में विचार व्यक्त करते हुए देखा है। बिना इसके इतनी बड़ी संस्थाओं को न केवल खड़ा कर देना बल्कि उनको सफलतापूर्वक चलाते रहना संभव नहीं हो सकता था।
अंत तक आप सक्रिय तथा विचारों से आशावादी थे। इसी आशावादिता के कारण आपने संपूर्ण समाज का सहयोग तथा शुभकामनाएँ अर्जित कीं। सबके प्रिय बने। जब 19 सितंबर 2020 शनिवार को प्रातः 9:30 शव – यात्रा वाहन आपके आदर्श कॉलोनी सिविल लाइंस स्थित नए निवास से आपका पार्थिव शरीर लेकर अंतिम संस्कार के लिए रवाना हुआ, तो वहाँ कोरोना – काल में भी एक सौ से अधिक प्रशंसक , मित्र तथा सामाजिक कार्यकर्ता नम आँखों से आपको अंतिम प्रणाम करने के लिए उपस्थित थे। सबकी जुबान पर एक ही बात थी कि अरे ! आप तो बिल्कुल ठीक चल रहे थे । श्री दिनेश कुमार अग्रवाल सर्राफ (श्री विष्णु शरण सर्राफ के छोटे भाई ) कह रहे थे कि “कल शाम ही तो 6:00 बजे मेरी उनसे बात हुई थी । बिल्कुल ठीक थे। ” अंत तक जो लोग सक्रिय रहते हुए संसार से चले जाते हैं ,उनके बारे में सब की ऐसी ही अवाक रह जाने वाली स्थितियाँ होती हैं। श्री शिव हरि गर्ग अनंत में विलीन हो गए लेकिन उनकी प्रेरक स्मृतियाँ सदैव जीवित रहेंगी। उन्हें शत-शत प्रणाम ।
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निवेदक : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451