कर्त्तव्य के विरुद्ध हो
अटका हुआ हैं सारंग धारा के चाल में
भटका हुआ हैं निर्मोही माया के जाल में
दोष कैसे मढ़े किसी तनुजा के शीश को
अनुचित विभक्ति ग्रहण करें नित्य विष को
कर्त्तव्य पूर्ण ओक से खुद ही अवरुद्ध हो
अपने जीवन साध्य में कर्त्तव्य के विरुद्ध हो
विचारणीय विषय सूची अनावरण विकल्प हो
आंतरिक यज्ञ कुण्ड वचन समिधा संकल्प हो
समाजिक माँग कुटुम्ब परिधि का परिवेश हो
नंदिनी के लाज रख उसके सीख में विशेष हो
तनया के गुण धर्म परिवर्तन स्व-रूप शुद्ध हो
अपने जीवन साध्य में कर्त्तव्य के विरुद्ध हो
वचन प्रतिज्ञा खण्डित कर, दोष शीश पर रखते हो
पाषाण हृदय से अशिष्टिक वाणी वितरीत करते हो
प्रश्न करें हित जब तुमसे परिचय अपरोक्ष निरुत्तर हो
आदर्श स्तंभ उखाड़ रहे, तुम किस विकार में सुंदर हो
बाला के कर्त्तव्य पृष्ठ के क्यों वचनों से क्रुद्ध हो
अपने जीवन साध्य में, कर्त्तव्य के विरुद्ध हो