कर्णधार
उसकी आंखों में एक अजीब सी चमक
मैंने देखी थी ,
जिंदगी में कुछ कर गुजरने की उमंग उसमें
मैंने देखी थी ,
परिस्थिति का मारा वो बेचारा, सम्बलविहीन ,कटु जीवन यथार्थ भोगने को बाध्य था ,
अभावों से घिरा , अपने अंतर्मन के भावों को दबाए , दुर्गम जीवन पथ पर बढ़ता जा रहा था ,
समय के झंझावातों को झेलते , नियति के चक्रवातों से संघर्षरत रहते उसकी प्रकृति सतत् ,
कर्मवीर का संकल्पित भाव लिए ,
कष्टों से अविचलित अपने लक्ष्य की ओर
वह अग्रसर अनवरत ,
देश के ऐसे कर्णधारों को अब तक कोई न
पहचान सका ,
इनकी शक्ति के उत्सर्ग को अब तक कोई न
जान सका ,
इनकी अपरिमित शक्ति ही समग्र विकास की
जान है,
इनके अस्तित्व से ही देश में स्थापित लोकतंत्र का मान है ,
स्मरण रहे इनमें अंतर्निहित अपने राष्ट्र के प्रति अगाध सम्मान है !