करो मत वार नयनों से
■■■■■■■★ ग़ज़ल ★■■■■■■■
करो मत वार नयनों से कि दिल उल्फ़त का मारा है
ये पहले भी तुम्हारा था ये दिल अब भी तुम्हारा है
मेरी आँखों का है तू नूर , तू सबका दुलारा है
तेरी हर बात प्यारी है तेरा अंदाज़ प्यारा है
तुम्हारी याद में खोई तुम्हीं को ढूंढती हूँ मैं
भटकती हूँ ख्यालों में हुआ दिल बेसहारा है
सजाकर आज बिटिया को निहारा देर तक हमने
लगा धरती पे ज्यों हमने करिश्में को उतारा है
तेरी यादों के बन्धन में बंधी हर वक़्त मैं खुश हूँ
तुझी में खो गई हूँ मैं तुम्हारा ही सहारा है
नज़र का व्याकरण पढ़ लो नज़र की भी जुबां समझो
नज़र से ही कँवल ने कर दिया तुमको इशारा है
बबीता अग्रवाल कँवल
20/12/2016