*** ” कोरोना : तू है कौन…….? ” ***
** : तू है कैसा रोग ,
या है किसी का कोई अनैतिक प्रयोग ।
मानव के अंतरात्मा में कर गया है ,
तू कैसा वियोग ।
तू है अदृश्य शत्रु हमारा ,
तू है मानवता का एक हत्यारा ।
तूझे शूर कहूँ ,
या फिर कोई असूर ।
तू है कितना निष्ठुर ,
तूझमें है क्यों … इतना कोप भाव प्रचुर ।
तू है क्यों मानवता के इतना खिलाफ ,
लगता है…तुम हो कोई दानव दारूण देव असूर ।
** : तेरा आना , किसी को न भाया है ;
कायस्थ मन में भी तेरे डर की छाया ही समाया है ।
तू ही बता , तेरे मन में है क्यों .. इतना कोप ,
सारी दुनिया में है तेरा ही वृहद प्रकोप ।
तूझे चर कहूँ या कोई निशाचर ,
या फिर कहूँ कोई नर-संहार के जलंधर ।
तू कौन है……?
किसी शत्रु के प्रायोगिक जैविक हथियार ,
या फिर……
कोई प्राकृतिक प्रकोप के अनचाहा उद्गार ।
तू है कौन सी काली घटा की छाया ,
किसी ज्ञानी या विज्ञानी को तेरा आचार-विचार ,
अब तक न समझ आया ।
तो…सुन ले ओ तू ‘ करोना ‘
अब हमें और नहीं है तेरे भय से रोना ।
मानवता और दानवता की इस लड़ाई में ,
हमने भी है ठाना ।
मानवता को जागृत कर , निरोगी काया बन ;
तूझे मिलों दूर है भगाना ।
तू कह देना अपने आका को ,
ये हिंद की सीमा अमिट है ;
” मानवता ” ही इस राष्ट्र की अमूल्य प्रतीक है ।
हिंदुस्तानियों के मनोबल बहुत ही प्रबल है ,
उनके तंत्र-विचार अक्षुण्ण और अटल है ।
तू भी उसके सीमा में अनाधिकृत प्रवेश न कर जाना ,
अन्यथा अपने आप की अस्तित्व ही भूल जायेगा ।
और … दुनिया की मानचित्र से तेरा नाम-निशान ही मिट जायेगा ।।
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* बी पी पटेल *
बिलासपुर ( छ . ग . )
०९ / ०१ / २०२१