करोगे रूह से जो काम दिल रुस्तम बना दोगे
करोगे रूह से जो काम दिल रुस्तम बना दोगे
करेंगे लोग सज़दा सब बुरा सिस्टम हिला दोगे
बहानों से यहाँ मंज़िल नहीं हासिल कभी होती
करो मेहनत जले शोले भी तुम शबनम बना दोगे
आर. एस. ‘प्रीतम’
शब्दार्थ- रूह- आत्मा, रुस्तम- शूरवीर, सज़दा- झुककर सलाम करना, शबनम- ओश की बूँद