Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Jun 2021 · 1 min read

करुणा की बरसात…(दोहे)

करुणा की बरसात…

सावन आया देखकर, हर्षित दादुर मोर।
बदली में चंदा छुपा, ढूँढे कहाँ चकोर।।१।।

अबके सावन करो प्रभु, करुणा की बरसात।
शाख ना टूटे कोई, घर-घर हुलसें पात।।२।।

सब जन विकार मुक्त हों, धुल जाएँ सब पाप।
बह जाए ये वायरस, मिट जाएँ भव-ताप।।३।।

मेघ बरसते देखकर, मन में उगा विचार।
जग के सब कल्मष बहें, रहे न लेश विकार।।४।।

हर ले मलिनता सारी, बारिश की बौछार।
मन-गंगा निर्मल बहे, तर जाएँ नर-नार।।५।।

महामारी में लिपटी, देख धरा लाचार।
रोए गगन भी देखो, आँसू नौ-नौ धार।।6।।

जिस अदने वायरस ने, छीने होश-हवास।
अबकी बारिश जल मरे, जैसे आक-जवास।।७।।

वर्षा जीवन-दायिनी, तप्त धरा की आस।
सकल चराचर जगत की, बुझती इससे प्यास।।८।।

पानी बिन जीवन नहीं, वर्षा जल की खान।
बूँद-बूँद संग्रह करो, इसका अमृत जान।।९।।

-डॉ.सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद (उ.प्र.)

5 Likes · 8 Comments · 565 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ.सीमा अग्रवाल
View all
You may also like:
मैं पढ़ने कैसे जाऊं
मैं पढ़ने कैसे जाऊं
Anjana banda
Drapetomania
Drapetomania
Vedha Singh
दलितों, वंचितों की मुक्ति का आह्वान करती हैं अजय यतीश की कविताएँ/ आनंद प्रवीण
दलितों, वंचितों की मुक्ति का आह्वान करती हैं अजय यतीश की कविताएँ/ आनंद प्रवीण
आनंद प्रवीण
किसी की गलती देखकर तुम शोर ना करो
किसी की गलती देखकर तुम शोर ना करो
कवि दीपक बवेजा
नारी
नारी
Bodhisatva kastooriya
23-निकला जो काम फेंक दिया ख़ार की तरह
23-निकला जो काम फेंक दिया ख़ार की तरह
Ajay Kumar Vimal
जाने क्यूँ उसको सोचकर -
जाने क्यूँ उसको सोचकर -"गुप्तरत्न" भावनाओं के समन्दर में एहसास जो दिल को छु जाएँ
गुप्तरत्न
मात पिता को तुम भूलोगे
मात पिता को तुम भूलोगे
DrLakshman Jha Parimal
कदीमी याद
कदीमी याद
Sangeeta Beniwal
फितरत
फितरत
Awadhesh Kumar Singh
"दूल्हन का घूँघट"
Ekta chitrangini
■ अटल सौभाग्य के पर्व पर
■ अटल सौभाग्य के पर्व पर
*Author प्रणय प्रभात*
"चिन्तन का कोना"
Dr. Kishan tandon kranti
जस गीत
जस गीत
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
चिल्लाने के लिए ताकत की जरूरत नहीं पड़ती,
चिल्लाने के लिए ताकत की जरूरत नहीं पड़ती,
शेखर सिंह
रक्षाबंधन
रक्षाबंधन
Dr Archana Gupta
प्रेम एकता भाईचारा, अपने लक्ष्य महान हैँ (मुक्तक)
प्रेम एकता भाईचारा, अपने लक्ष्य महान हैँ (मुक्तक)
Ravi Prakash
चुनिंदा बाल कहानियाँ (पुस्तक, बाल कहानी संग्रह)
चुनिंदा बाल कहानियाँ (पुस्तक, बाल कहानी संग्रह)
Dr. Pradeep Kumar Sharma
भीगी फिर थीं भारी रतियाॅं!
भीगी फिर थीं भारी रतियाॅं!
Rashmi Sanjay
जब काँटों में फूल उगा देखा
जब काँटों में फूल उगा देखा
VINOD CHAUHAN
तब मानोगे
तब मानोगे
विजय कुमार नामदेव
अंत में पैसा केवल
अंत में पैसा केवल
Aarti sirsat
जीवन में जब संस्कारों का हो जाता है अंत
जीवन में जब संस्कारों का हो जाता है अंत
प्रेमदास वसु सुरेखा
जो चाकर हैं राम के
जो चाकर हैं राम के
महेश चन्द्र त्रिपाठी
पढ़ना जरूर
पढ़ना जरूर
पूर्वार्थ
विश्व कविता दिवस
विश्व कविता दिवस
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
माफिया
माफिया
Sanjay ' शून्य'
कविता ही हो /
कविता ही हो /
ईश्वर दयाल गोस्वामी
श्राद्ध पक्ष के दोहे
श्राद्ध पक्ष के दोहे
sushil sarna
2512.पूर्णिका
2512.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
Loading...