छुअन
जब भी
तुम कभी
मुस्कुराते हुए
अपनापन जताते हुए
मेरे करीब तुम आते हो
तब-तब पराए सा लगते हो
जब कभी
शाम ढले
दीप जले
सकुचाते हुए
दूर जाते हुए
ओझल होते हुए
बुझी-बुझी सी तुम दिखते हो
दिल की गहराइयों को छू जाते हो
जब भी
तुम कभी
मुस्कुराते हुए
अपनापन जताते हुए
मेरे करीब तुम आते हो
तब-तब पराए सा लगते हो
जब कभी
शाम ढले
दीप जले
सकुचाते हुए
दूर जाते हुए
ओझल होते हुए
बुझी-बुझी सी तुम दिखते हो
दिल की गहराइयों को छू जाते हो