करीब तो आने दे
एक बार मुझे तू अपने करीब तो आने दे !
हसरत आज इस दिल की ये मिट जाने दे !!
किस तरह तड़पा है ये दिल, एक तेरे बैगर
धड़कन इसकी जरा तेरे कानो में घुल जाने दे !!
सदियाँ बीत गयी है अपनी दीदार किये हुए
मेरे हुजूर एक पल भी अब जाया न होने दे !!
मिलन के मौके तो मिले तमाम थे जिंदगी में
नामंजूर था जमाने को, हुआ खफा तो होने दे !!
शायद कल हो ना हो ये हसीं पल अपनी जिंदगी में
ना रोक इस पल को “धर्म” की पनाहो में तू आने दे !!
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————डी. के निवातियाँ ———–