करवटें बदल बदल
———-करवटें बदल-बदल———
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करवटें बदल-बदल, बीताई काली रात
नींद नहीं अखियों में सोये ना सारी रात
तकिये भीगे हुए , जो थे बाहों के पास
आँसू बहते रहे ,आँखों से सारी रात
वेदना में दिल रोया , हुआ बुरा हाल
सजन मेरे पास नहीं,विरह भरी वो रात
जिनसे थे नैन लगे , वो नहीं मेरे पास
तारों से बातें करते , नयन सारी रात
बारिश बरसती रही ,काली घटा घनघोर
दिल में आग लगाए सावन की लंबी रात
ना जाने कब आएंगे , प्रियतम मेरे पास
सुखविंद्र अकेले नहीं कटते ये दिन रात
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)