करनी का फल
ओ३म् सरस्वत्यै नमः। ओ३म् हंसासनायै नमः।
?????????
#दिवस – – – – #बुधवार
#विधा – – – #कुकुभ_छन्द
? विषय – – – – ऐच्छिक
♦♦♦♦♦♦♦♦
हाल हुआ जो आज जमीं का,
जिम्मेदार मनुज ही है।
करता है संहार बृक्ष का,
लगता यही दनुज ही है।।
जिम्मेदार वो इस हाल का,
सूखा विकट निशानी है।
मरूभूमि बन गये धरा जो,
सभी ओर वीरानी है।।
??????????
जीव जन्तु चारा को तरसे,
पानी बिन पोखर सूखे।
जतन करें क्या पेट भरन को,
अन्न बिना मरते भूखे।।
विपदा की यह घड़ी अजब की,
मानवता पर भारी है।
अपनी करनी का फल भोगे,
मानव मन दुखियारी है।।
*********
✍✍पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’
मुसहरवा (मंशानगर)
पश्चिमी चम्पारण
बिहार