करना है विज्ञान प्रसार
मिट्टी,हवा और पानी में परिलक्षित मानव व्यवहार।
हर पदार्थ में बसे ऊर्जा कुछ भी नहीं यहां बेकार।।
विज्ञान गणित में भेद कहां?समझोगे उमड़ेगा प्यार ।
आओ प्यारे साथी आओ ! करना है विज्ञान प्रसार ।।
द्रव्यमान संरक्षण के भी नियम का होता यही सार।
जगत में ना कुछ नया बनें ना ही कुछ होता बेकार।।
मानव जीवन रहे ना रहे ! अमिट पदार्थ मय संसार।
इसी पदारथ के अणुओं में बसती है ऊर्जा अपार।।
खून बहाना उचित नहीं ! बोल रहा इसका रंग लाल।
उगता हाे या छिपता सूरज दोनों का रंग होता लाल।।
ये घटनाएं तब घटती हैं तरंगदैर्ध्य जब करे कमाल।
अनुपात समय दूरी का बदले तभी बदलती चाल।।
आ उतार ले चांद धरा पर पानी स्वच्छ भरेंगे थाल।
दूषित हवा छानकर खींचे नाक में जो होते हैं बाल।।
पेड़ों की रक्षा की खातिर तने को ढककर रखे छाल।
अन्धविश्वास रूढ़ियां त्यागो तकनीकी बन जाए ढाल।।
जिसने तकनीकी को जाना उसने दुनियां को पहचाना।
तकनीकी बिनु बहुत कठिन है इस दुनियां में रह पाना।।
तकनीकी नैनों से ही तो अर्जुन देखे रूप विराट।
ज्ञान और विज्ञान शक्ति से बना गया वाणों की खाट।।
मेरी इन प्रेरक बातों का पोषक है वैज्ञानिक आधार।
आओ ! प्यारे साथी आओ ! करना है विज्ञान प्रसार।।