करगिल दिवस पर मेरा नमन
वह अमर बलिदान
हमारे राष्ट्र का है शौर्य और सम्मान।
मेरा नमन।
वह तुम्हारा युद्ध के दौरान
रक्षक का लिए अभिमान
दधिची की तरह
कर देना प्राणदान।
तुम्हारे अद्भुद उस पर्व को
मेरा नमन।
पत्थरों के पर्वतों की चोटियों पर
कुपथ पर जो पग बढ़ाये
उन पगों को है मेरा सम्मान।
उनको नमन।
मातृभूमि के लिए
प्रतिबद्ध जो हैं भाव
उस भाव का तुमने दिखाया
जो शान
दे बलिदान
उनको नमन।
जिस माँ,पिता के पुत्र तुम
जिसके बहन,भाई
सर्वस्व जिसके और थे संसार
देवी उस को
सुत और सुता के जनक
उनके प्रति चिरऋणी का यह नमन।
उस उत्स और संकल्प को
जो भर गया तेरे रक्त में वह ‘ठान’
जिसके लिए कर गये प्रिय
अमिट यह बलिदान।
उनको नमन।
वीर गाथाएँ कहेंगी
स्मृति जिन्दा ही रहेंगी
सूर्य के किरणों सरीखा
पथ दिखा जाया करेंगी
मातृभूमि का हमारा गान।
उस मातृभू को नमन।
————————————–