कमी व अति दोनों ही घातक है !
कमी व अति दोनों ही घातक है !
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हमें कुछ करना होगा !
अब कुछ करना होगा !
गर कुछ कमी है मुझमें…
तो दूर इसे करना होगा !
और यदि आत्मविश्वास…
चरम पर हो गया है मेरा !
तो कम इसे करना होगा !!
कोई कमी हो या कुछ अति हो ,
सेहत के लिए दोनों ही घातक है !
गर इसमें संतुलन स्थापित कर लें ,
तो ही जीवन में थोड़ी सी राहत है !!
कमी अंदर ही अंदर खा जाती है !
इंसान को खोखला कर जाती है !
एक निश्चित दायरे में ही नचाती है !
सोच को भी संकुचित कर जाती है !!
कमी से ग्रसित इंसान कभी भी….
मंज़िल को साफ़ नहीं देख पाता है!
हमेशा मन ही मन घुट – घुटकर….
कमी में ही उलझकर रह जाता है !!
हाॅं, कमी से जूझ रहा कोई इंसान ,
अगर मेहनत की राह पर चलता है !
तो उस कमी के ग़म से निकलकर ,
जल्द ही अपनी मंज़िल पा लेता है !!
और अति के दर्प में चूर होकर ,
कोई इंसान मदमस्त हो जाता है !
और वो सही रास्ते से भटककर ,
किसी गहरी खाई में गिर जाता है !!
कमी व अति दोनों ही घातक है ,
दोनों को दूर करने का प्रयास करें !
जीवन की राहों पे आगे बढ़ने को ,
अंतर्मन की आवाज पर विश्वास करें !
दूरदर्शिता, ज्ञान व नैतिक मूल्यों से ,
सदैव अपने जीवन में कुछ ख़ास करें !!
स्वरचित एवं मौलिक ।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 29-07-2021.
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