कमीजें
डरती हूं, कि इन रंगबिरंगी कमीजों में
अगर एक भी चुननी पड़ी जो
मुझे अत्यधिक प्रिय हो,
तो शायद ……..
मेरी अलमारी में एक भी नहीं बचेगी.
क्योंकि
ये रंग बिरंगी कमीजें,
जो खुद मैने चुनी थीं
उनमें हरी, पिंक और सफेद भी तो मेरी ही पसंद की थीं
ध्यान से देखूं तो
हर कमीज बदरंग नज़र आती है
मैं हैरान हूं खुद पर
एक काली कमीज
हर बार पसंद आने पर भी
सिर्फ इसलिए न ले सकी
क्योंकि ,
वह काली थी,
या फिर मुझसे उसका मैच नहीं था
मगर कितनी गलत थी मैं,
वही कमीज़
शायद! वही कमीज़ मुझसे सबसे ज्य़ादा मैच करती
और मेरे दिल के करीब भी होती
पर…उसे मैनें अपना समझा ही कहां?
दोस्तों,
आजकल दोस्ती भी कुछ ऐसी ही हो गई है,
दोस्तों की गिनती तो बहुत है पर, अपना किसे कहें
दोस्त कमीज़ नहीं जिन्हें जब चाहा चुन लिया
जब चाहा बदल दिया
दो हों, सच्चे हों, पास हों न हों
पर दिल से करीब होने चाहिए
दोस्तों! दोस्ती का सलीका निभाने की तमीज़ होनी चाहिए