*कमबख़्त इश्क़*
हर वो रिश्ता खूबसूरत होता है
जिसे दो दिलों का प्यार जोड़ता है
दर्द उसे भी होता है दिल में,
जब कोई किसी को छोड़ता है
छोड़ता नहीं शौक़ से कोई किसी को
दिल उसका भी टूटता है जब वो छोड़ता है
जलता है दिल पल पल उसका भी
वो ख़ुद को भी ग़म के सागर में झोंकता है
दिल तोड़ने की सज़ा ग़म होती है
तड़पता है वो भी, इतनी क्या कम होती है
देखकर महबूब को किसी और के साथ
यक़ीन मानिए, आंखें उसकी भी नम होती है
जिसने तोड़ा तेरे मासूम दिल को
उसकी याद में तू आज भी रोता है
नम आंखों से फिर याद करता है उसे
कमबख़्त ये इश्क़ ऐसा ही होता है
कोई कितना भी बुरा कहे इसे और कोसे
चल रहा है ये जहां सिर्फ इश्क़ के भरोसे
डूब गया था सूरज तो सांझ ढलते ही
है ये तेज उसके चेहरे पर, इश्क़ के भरोसे।