Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Mar 2022 · 3 min read

कमजोर विपक्ष एवं निरंकुश शासन

देश में वर्तमान स्थिति में ज्वलंत मुद्दों को शासन के समक्ष उठाने की एकजुटता के अभाव के कारण शासन व्यवस्था में निरंकुशता की स्थिति उत्पन्न हुई है।
विपक्ष को क्षेत्रीय मुद्दों को वर्ग विशेष के वोट बैंक की तुष्टिकरण की राजनीति बनाने से हटकर सापेक्ष रूप में आम जनता के उत्थान की राजनीति को समग्र राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में अवलोकन करने की आवश्यकता है। जिससे उसका लाभ क्षेत्रीय स्तर पर जनता को हासिल हो सके।
केवल क्षेत्रीय स्तर पर निःशुल्क बिजली पानी एवं कर्जमाफी के आश्वासन के चुनावी घोषणा पत्रों से केवल एक वर्ग विशेष को प्रलोभन देकर वोट प्राप्त करने की नीति से हटकर क्षेत्रीय ज्वलंत जन समस्याओं के समाधान एवं क्षेत्रीय विकास की राजनीति को चुनावी घोषणा पत्र में स्थान देना आवश्यक है।
विपक्ष को चुनाव में अपने प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित करने के लिए अन्य राजनीतिक दलों से गठबंधन के स्थान पर एकीकृत मुद्दों को चुनावी घोषणा पत्र का आधार बनाकर चुनावी समर में उतरना होगा। जिसका उद्देश्य समग्र क्षेत्रीय विकास एवं जनसाधारण की ज्वलंत समस्याओं का समाधान होना चाहिए।
केवल वर्तमान शासक दल के विरुद्ध प्रलापों एवं भाषणों से शासन विरुद्ध जनमत की लहर उत्पन्न करने के प्रयासों से बचना होगा।
क्योंकि इस प्रकार की लहर एक अल्पकालीन
जनधारणा तो बना सकती है, परंतु इस प्रकार की धारणा के ठोस एवं दूरगामी प्रभाव देखने को नहीं मिलते।
विपक्ष को व्यक्तिवाद वंशवाद एवं जातिवाद की स्वार्थपरक राजनीति एवं व्यक्तिगत आरोपों – प्रत्यारोपों की राजनीति से हटकर गंभीर चिंतन कर अपने संगठन को मजबूत करना होगा।और विकास कार्यों में खुलकर सामने आकर अपना योगदान प्रदान करना होगा , तथा सदैव शासन की आलोचना के स्थान पर शासन द्वारा लोक हित में किए गए अच्छे कार्यों की सराहना भी करनी होगी , जिससे संगठन के स्वस्थ दृष्टिकोण को जनता के समक्ष प्रस्तुत किया जा सके एवं उनका विश्वास जीता जा सके।
अभी हाल में हुए क्षेत्रीय चुनावों में विपक्षी पार्टियों की करारी हार के पश्चात विपक्ष को सबक लेना होगा कि केवल आलोचनाओं की राजनीति से चुनाव में जीत सुनिश्चित नहीं की जा सकती है।
क्षेत्रीय राजनीति को राष्ट्रीय राजनीति से अलग रख कर देखना बुद्धिमता नहीं है, क्योंकि राष्ट्रीय स्तर पर लिए गए शासन की नीति निर्देशों का प्रभाव क्षेत्रीय स्तर पर भी पड़ता है और कोई भी राज्य उससे अछूता नहीं रह सकता भले ही उसमें विपक्षी सरकार हो।
अतः क्षेत्रीय संदर्भ में समस्याएं जो राष्ट्रीय समस्याओं का स्थान ले सकती हैं, उन्हें सदन में उठा कर उन पर खुली बहस आमंत्रित की जानी चाहिए ,जिससे वे राष्ट्रीय मुद्दे बनकर राष्ट्र के समक्ष प्रस्तुत हों, और उनका समय रहते समाधान राष्ट्रीय स्तर पर किया जा सके।
विगत वर्षों में राजनीतिक स्तर पर यह त्रासदी उत्पन्न हुई है कि क्षेत्रीय स्तर पर आपसी वैमनस्य एवं क्षेत्रीयता की राजनीति ने विपक्षी संगठनों को कमजोर करके रख दिया है। जिसके कारण शासन के विरुद्ध एकजुट होकर विपक्ष अपनी भूमिका निभाने में असमर्थ रहा है।
कुछ बड़ी पार्टियां कांग्रेस इत्यादी अपने आंतरिक विवादों के चलते एवं व्यक्तिवाद एवं वंशवाद से प्रभावित राजनीति के शीर्ष पर कुशल नेतृत्व के अभाव में नगण्य होकर रह गई हैं, और सदन में एक मजबूत विपक्ष की भूमिका खो बैठी है।
विपक्ष की इन सभी त्रुटियों के कारण शासन निरंकुशता की ओर अग्रसर हुआ है।
विगत वर्षों में कुछ ऐसी नीतियों और निर्णयों को जनता पर थोपा गया है जो तर्कसंगत नहीं हैं ,
और आम जनता एक निरीह और मूकदर्शक की भांति उन सभी निर्देशों का पालन करने के लिए बाध्य की गई है।
किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था के सुचारू परिचालन में एक मजबूत विपक्ष की अहम् भूमिका होती है। जो समय समय पर जनता के हितों के मुद्दों को सदन में उठा कर उन पर खुली बहस कर सदन के निर्णयों को तर्कसंगत एवं जनकल्याणकारी बनाए, जिससे जनसाधारण की ज्वलंत समस्याओं का निराकरण होकर, देश समग्र विकास एवं राष्ट्र उन्नति के पथ पर अग्रसर हो सके।

Language: Hindi
Tag: लेख
253 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Shyam Sundar Subramanian
View all
You may also like:
*Relish the Years*
*Relish the Years*
Poonam Matia
*नौकरपेशा लोग रिटायर, होकर मस्ती करते हैं (हिंदी गजल)*
*नौकरपेशा लोग रिटायर, होकर मस्ती करते हैं (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
कुछ हाथ भी ना आया
कुछ हाथ भी ना आया
Dalveer Singh
*मूलांक*
*मूलांक*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
दोहा
दोहा
गुमनाम 'बाबा'
“दूल्हे की परीक्षा – मिथिला दर्शन” (संस्मरण -1974)
“दूल्हे की परीक्षा – मिथिला दर्शन” (संस्मरण -1974)
DrLakshman Jha Parimal
नशा और युवा
नशा और युवा
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
भूल जा इस ज़माने को
भूल जा इस ज़माने को
Surinder blackpen
‘1857 के विद्रोह’ की नायिका रानी लक्ष्मीबाई
‘1857 के विद्रोह’ की नायिका रानी लक्ष्मीबाई
कवि रमेशराज
भाई
भाई
Kanchan verma
चट्टानी अडान के आगे शत्रु भी झुक जाते हैं, हौसला बुलंद हो तो
चट्टानी अडान के आगे शत्रु भी झुक जाते हैं, हौसला बुलंद हो तो
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
हिन्दी
हिन्दी
लक्ष्मी सिंह
तुम्हारी कहानी
तुम्हारी कहानी
PRATIK JANGID
Take responsibility
Take responsibility
पूर्वार्थ
जीवनमंथन
जीवनमंथन
Shyam Sundar Subramanian
यही मेरे दिल में ख्याल चल रहा है तुम मुझसे ख़फ़ा हो या मैं खुद
यही मेरे दिल में ख्याल चल रहा है तुम मुझसे ख़फ़ा हो या मैं खुद
Ravi Betulwala
अजर अमर सतनाम
अजर अमर सतनाम
Dr. Kishan tandon kranti
चन्द्रमा
चन्द्रमा
Dinesh Kumar Gangwar
श्री कृष्ण भजन 【आने से उसके आए बहार】
श्री कृष्ण भजन 【आने से उसके आए बहार】
Khaimsingh Saini
*****नियति*****
*****नियति*****
Kavita Chouhan
* भावना में *
* भावना में *
surenderpal vaidya
हमारी चाहत तो चाँद पे जाने की थी!!
हमारी चाहत तो चाँद पे जाने की थी!!
SUNIL kumar
तेरे जाने के बाद ....
तेरे जाने के बाद ....
ओनिका सेतिया 'अनु '
कुछ लोगो का दिल जीत लिया आकर इस बरसात ने
कुछ लोगो का दिल जीत लिया आकर इस बरसात ने
सिद्धार्थ गोरखपुरी
2677.*पूर्णिका*
2677.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
इंसान बनने के लिए
इंसान बनने के लिए
Mamta Singh Devaa
अस्ताचलगामी सूर्य
अस्ताचलगामी सूर्य
Mohan Pandey
संस्कार
संस्कार
Sanjay ' शून्य'
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
भारत का सिपाही
भारत का सिपाही
आनन्द मिश्र
Loading...