कभी हमारे शहर आओ तो मिल लिया करो
कभी हमारे शहर आओ तो मिल लिया करना ।
यूं कब तक पुरानी बातों कि तकरार दिल में दबा कर रखोंगे ।
माना लड़कपन की थी वो गलतियां । क्या उनके लिए हमें कभी माफ नहीं करोगे ।
कभी हमारी गली से जो गुजरो बस एक झलक इस ओर देख लिया करना ।
कभी हमारे शहर आओ तो । हम से मिल लिया करना ।
माना कसमें वादे नहीं निभा पाया में । पर इस तरह हमसे अब तक ख्फा तो ना रहना । कुछ मजबूरियां थी मेरी वादो से मुकरने की । पर एक बार समझ तो लिया होता । कभी हमरे शहर आओ तो मिल लिया करना ।
में अभी भी उसी शहर में वही रहता हूं । हर शाम उसी फाउंटेन प्र इंतजार भी करता हूं ।
सुना है तुम अब किसी ओर शहर हो गई हो ।
पर हमें इस तरह अब अनजान तो ना समझना ।
कभी हमरे शहर आओ। तो बस मिल लिया करना , मिल लिया करना ।।
Dear diary with pratik jangid