कभी रूठते वो
होती रहती है
अनबन
मत लो इसे
अन्तर्मन में
उसने बोला
हमने बोला
बस बात करो
यहीं खत्म
मत बुरा मानों
अपने अपनों का
कभी प्यार से तो
कभी दुलार से
डांटते है अपना समझ
मत लो मन में
यह तो है थोड़ी सी
अनबन
पडती है महंगी
अनबन पत्नी से
रखना है अगर
शांति घर में
बस मानों बात
उसकी तुरंत
बनाओ मत
अह॔ का विषय
अनबन को
जीवन में है
ये पानी सा
बुलबुला
आने और
जाने दो
स्वलिखित लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल