कभी राधा कभी मीरा ,कभी ललिता दिवानी है।
कभी राधा कभी मीरा ,कभी ललिता दिवानी है।
यही हम जानते हैं ये ,सभी तो राज रानी है।
जपे जॅंह नाम राधे का, वहीं ब्रजधाम हो जाए,
यही तुलसी यही मीरा, यही तो संत वाणी है।।
बढ़ाने चीर वो आए, सगे सब मौन थे बैठे ,
वहीं धीरज बॅंधाया था,बड़ी अद्भुत कहानी है।।
समय हर चाल है चलता,नहीं कोई इसे जाने,
वही सब जानते थे बस,यही भावी महारानी ।
बड़ा अभिमान था उसको,बुरा उसका रवैया था,
रहा सौ मैं नहीं कोई, कहानी ये पुरानी है।
बुलाए बिन चले आते,वही तो कृष्ण हैं ‘दीपक’ ,
सहारा हैं वही सबका, यही तो मूक वाणी है।
डी .एन.झा’दीपक’देवघर झारखंड