*कभी प्यार में कोई तिजारत ना हो*
कभी प्यार में कोई तिजारत ना हो
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कभी प्यार में कोई तिजारत ना हो,
नहीं चाहिए वो गर लियाक़त ना हो।
हिफाज़त रहे वो यार खुद से प्यारा,
अमानत वही जिसमे ख़यानत ना हो।
हिमायत वही जो दिल को दर्द ना दे,
पहर दर पहर कोई बगावत ना हो।
बहुत ही बुरा वो पल जो न सह पाऊँ,
कभी हर बात पर यूँ सियासत ना हो।
जगत में बुरी बीमारी भरी जन जन में,
हृदय में भरी पूरी शराफत ना हो।
रखो मन में धीरज पर सुनो मनसीरत
नजाकत सही पर कुछ शरारत ना हो।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)