Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 May 2024 · 2 min read

कभी पत्नी, कभी बहू

कभी पत्नी, कभी बहू
कभी भाभी, कभी मामी।
और अक्सर देवरानी या जेठानी।
या फिर चाची, ताई।
सारे रिश्ते निभाते निभाते
और ज़िम्मेदारियाँ उठाते उठाते,
जब थक सी ज़ाती हैं बेटियाँ तब,
माँ बाप के, यानि अपने घर आती हैं बेटियाँ।
तरो ताज़ा होने को
रिचार्ज और रिफ्रेश होने को।
यहाँ आज भी वो नन्ही बिटियारानी है,
जहाँ चलती उसकी मनमानी है।
पीहर की दहलीज़ पर क़दम रखते ही,
आँगन में लगी कील पर,
ज़िम्मेदारियों का दुपट्टा टाँग देतीं है।
और पहन लेतीं हैं अपना बचपन।
घर के कोने कोने में घूमतीहैं।
अपनी कुछ यादें सम्भाल कर फिर रख देतीं हैं।

मर्ज़ी से, अपनी मर्ज़ी से,
सोतीं हैं, देर से उठतीं हैं।
सारा दिन अलसायी सी घूमती हैं।
माँ के हाथ का खातीं हैं,
भाई से चौराहे वाले की चाट मंगवाती हैं।
फ़ाइव स्टार होटल के कैंडल लाइट डिनर में भी
उसे वो मज़ा नहीं आता,
जो मायके में ज़मीन पर बैठ रोटी ख़ाने में पाती है।
कभी कभी शाम को छोटे भाई की साइकल पर
कॉलोनी का चक्कर भी लगा आती है।
दिन पंख लगा उड़ जातें है और वो सपने में रहती है।
तभी एक दिन, कोई पूछ लेता है- “अभी रुकोगी ना”!
बस तभी
माँ से कहती है, हो गये अब बहुत दिन
सब परेशान होंगे मेरे बिन।
माँ भी कहाँ रोक पाती है, जैसी तेरी मर्ज़ी कह कर अपने आँसु छिपाती है।
और बेटी नम आँखे लिये, जल्दी हीं फिर आऊँगी कह कर, ससुराल लौट आती है।
अपने घर संसार में, जिसमें है सबको उसका इंतज़ार।
और वो भी सारे रिश्ते निभाने, सारी ज़िम्मेदारियाँ उठाने फिर से है तैयार।

अनिल “आदर्श”

Language: Hindi
44 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from अनिल "आदर्श"
View all
You may also like:
*कॉंवड़ियों को कीजिए, झुककर सहज प्रणाम (कुंडलिया)*
*कॉंवड़ियों को कीजिए, झुककर सहज प्रणाम (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
आयेगी मौत जब
आयेगी मौत जब
Dr fauzia Naseem shad
प्रायश्चित
प्रायश्चित
Shyam Sundar Subramanian
होती है
होती है
©️ दामिनी नारायण सिंह
शिव स्तुति महत्व
शिव स्तुति महत्व
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
"ऐ जिन्दगी"
Dr. Kishan tandon kranti
6. *माता-पिता*
6. *माता-पिता*
Dr .Shweta sood 'Madhu'
वो कैसा दौर था,ये कैसा दौर है
वो कैसा दौर था,ये कैसा दौर है
Keshav kishor Kumar
"" *आओ करें कृष्ण चेतना का विकास* ""
सुनीलानंद महंत
अलमस्त रश्मियां
अलमस्त रश्मियां
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
गीत - जीवन मेरा भार लगे - मात्रा भार -16x14
गीत - जीवन मेरा भार लगे - मात्रा भार -16x14
Mahendra Narayan
#ग़ज़ल
#ग़ज़ल
*प्रणय प्रभात*
अच्छे दोस्त भी अब आंखों में खटकने लगे हैं,
अच्छे दोस्त भी अब आंखों में खटकने लगे हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जिंदगी में रंग भरना आ गया
जिंदगी में रंग भरना आ गया
Surinder blackpen
*सेब का बंटवारा*
*सेब का बंटवारा*
Dushyant Kumar
करके ये वादे मुकर जायेंगे
करके ये वादे मुकर जायेंगे
Gouri tiwari
#शिवाजी_के_अल्फाज़
#शिवाजी_के_अल्फाज़
Abhishek Shrivastava "Shivaji"
"हार व जीत तो वीरों के भाग्य में होती है लेकिन हार के भय से
डॉ कुलदीपसिंह सिसोदिया कुंदन
बचाओं नीर
बचाओं नीर
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
जान लो पहचान लो
जान लो पहचान लो
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
"मैं और मेरी मौत"
Pushpraj Anant
इम्तिहान
इम्तिहान
Saraswati Bajpai
तुम कहती हो की मुझसे बात नही करना।
तुम कहती हो की मुझसे बात नही करना।
Ashwini sharma
जिसे हम हद से ज्यादा चाहते है या अहमियत देते है वहीं हमें फा
जिसे हम हद से ज्यादा चाहते है या अहमियत देते है वहीं हमें फा
रुपेश कुमार
3276.*पूर्णिका*
3276.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बाल कविता: चूहा
बाल कविता: चूहा
Rajesh Kumar Arjun
222. प्रेम करना भी इबादत है।
222. प्रेम करना भी इबादत है।
मधुसूदन गौतम
*सुनकर खबर आँखों से आँसू बह रहे*
*सुनकर खबर आँखों से आँसू बह रहे*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
लौ मुहब्बत की जलाना चाहता हूँ..!
लौ मुहब्बत की जलाना चाहता हूँ..!
पंकज परिंदा
मां की दूध पीये हो तुम भी, तो लगा दो अपने औलादों को घाटी पर।
मां की दूध पीये हो तुम भी, तो लगा दो अपने औलादों को घाटी पर।
Anand Kumar
Loading...