कभी न हारी मैं हूँ नारी।
कभी न हारी मैं हूँ नारी।
जिसमें विपुल रहे फुलवारी
मैं हूं ऐसी सुन्दर क्यारी
बाबुल की मैं राजदुलारी
पिय की मैं प्राणों की प्यारी
कभी न हारी मैं हूँ नारी।
बन सैनिक रक्षा करती हूं
उड़ा रही जेट युद्ध सवारी
दुश्मन के सीने को बींधे
मैं हूं ऐसी गरल कटारी
कभी न हारी मैं हूँ नारी।
आज शान से निभा रही हूं
सकल जगत में जिम्मेदारी
स्वयं बनीं हूं सम्बल अपना
पीछे छोड़ शब्द लाचारी
कभी न हारी मैं हूं नारी।
विश्व विजयनी संस्कृति मेरी
भारत भूमि रहे आभारी
कौन सकेगा रोक विश्व में
आज पड़ी मैं सब पर भारी
कभी न हारी मैं हूँ नारी।