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13 Oct 2020 · 1 min read

कभी जो किया था अनोखा बहाना

कभी जो किया था अनोखा बहाना
हमें आपका याद आता बहाना

सनम ढूंढ़ लाओ नया सा बहाना
नहीं अब चलेगा पुराना बहाना

भरोसा न करते भला किस तरह हम
नज़र को झुकाकर बनाया बहाना

मगर आप नाराज़ भी हो गये थे
नहीं रास आया हमारा बहाना

है मन्ज़ूर हमको , नहीं अब करेंगे
अगर आपकी ज़िद , न होगा बहाना

अगर हो शिकायत सभी बोल देते
मुहब्बत में चलता सभी का बहाना

कई बार वादे हुये इस तरह के
सभी वस्फ़ करते कि उम्दा बहाना

लगाकर बहाना न दिल को दुखाओ
सदा याद रक्खो न अच्छा बहाना

कई बार मुश्क़िल हुई ज़िन्दगी में
न ‘आनन्द’ जाने बनाना बहाना

शब्दार्थ:- वस्फ़ = तारीफ़

– डॉ आनन्द किशोर

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