Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 May 2024 · 1 min read

कभी चाँद को देखा तो कभी आपको देखा

कभी चाँद को देखा तो कभी आपको देखा
हम भूल गए खुद को जबसे आपको देखा

कहती हैं दुनिया चाँदनी, तो है चाँद से होती
हमको लगा बस झूठ ही, जब आपको देखा
हम भूल गए खुद को

कहते हैं प्यार किसको, ये हमको खबर न थी
जाना है दिल की मर्ज को जब आपको देखा
हम भूल गए खुद को

रहता है चेहरा आपका, हर पल ही सामने
भूले खुदा की रहमत हम, जब आपको देखा
हम भूल गए खुद को

काई खयाल आता नहीं, बस आपके सिवा
खोया है चैन दिल हमने, जबसे अपको देखा
हम भूल गए खुद को

मर जाऊँ तुझपे जिंदगी, कर जाऊंगा फ़नाह
‘V9द’ यही सोचा था बस, जब आपको देखा
हम भूल गए खुद को

स्वरचित
V9द चौहान

1 Like · 115 Views
Books from VINOD CHAUHAN
View all

You may also like these posts

अजनबी
अजनबी
लक्ष्मी सिंह
नारी : एक अतुल्य रचना....!
नारी : एक अतुल्य रचना....!
VEDANTA PATEL
4695.*पूर्णिका*
4695.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मोहिनी
मोहिनी
Rambali Mishra
फिर क्यूँ मुझे?
फिर क्यूँ मुझे?
Pratibha Pandey
प्रतिस्पर्धा अहम की....
प्रतिस्पर्धा अहम की....
Jyoti Pathak
जीवन में सबसे मूल्यवान अगर मेरे लिए कुछ है तो वह है मेरा आत्
जीवन में सबसे मूल्यवान अगर मेरे लिए कुछ है तो वह है मेरा आत्
Dr Tabassum Jahan
शिव सबके आराध्य हैं, रावण हो या राम।
शिव सबके आराध्य हैं, रावण हो या राम।
Sanjay ' शून्य'
ग़ज़ल _ थी पुरानी सी जो मटकी ,वो न फूटी होती ,
ग़ज़ल _ थी पुरानी सी जो मटकी ,वो न फूटी होती ,
Neelofar Khan
शिक्षक दिवस पर गुरुवृंद जनों को समर्पित
शिक्षक दिवस पर गुरुवृंद जनों को समर्पित
Lokesh Sharma
अब प्यार का मौसम न रहा
अब प्यार का मौसम न रहा
Shekhar Chandra Mitra
मानो की शादी
मानो की शादी
manorath maharaj
" चर्चा "
Dr. Kishan tandon kranti
मेरी ख़्वाहिश ने
मेरी ख़्वाहिश ने
Dr fauzia Naseem shad
■ दोनों चिर-विरोधी।।
■ दोनों चिर-विरोधी।।
*प्रणय*
हिंदी दोहे- पौधारोपण
हिंदी दोहे- पौधारोपण
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
"मैं ही हिंदी हूं"
राकेश चौरसिया
माँ का अबोला / मुसाफ़िर बैठा
माँ का अबोला / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
It is what it is
It is what it is
पूर्वार्थ
वन्दे मातरम् ( घनाक्षरी छंद)
वन्दे मातरम् ( घनाक्षरी छंद)
guru saxena
दो घूंट
दो घूंट
संजय कुमार संजू
ज़मीर मर गया सब का..और आत्मा सो गयी .....
ज़मीर मर गया सब का..और आत्मा सो गयी .....
shabina. Naaz
गीत- नशा देता मज़ा पहले...
गीत- नशा देता मज़ा पहले...
आर.एस. 'प्रीतम'
*एक सीध में चलता जीवन, सोचो यह किसने पाया है (राधेश्यामी छंद
*एक सीध में चलता जीवन, सोचो यह किसने पाया है (राधेश्यामी छंद
Ravi Prakash
#लोकराज की लुटती लाज
#लोकराज की लुटती लाज
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
वह है हिंदी हमारी
वह है हिंदी हमारी
gurudeenverma198
मैं भी साथ चला करता था
मैं भी साथ चला करता था
VINOD CHAUHAN
इश्क़ ज़हर से शर्त लगाया करता है
इश्क़ ज़हर से शर्त लगाया करता है
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
बचपन की मोहब्बत
बचपन की मोहब्बत
Surinder blackpen
मुक्तक 3
मुक्तक 3
SURYA PRAKASH SHARMA
Loading...