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5 Jul 2020 · 1 min read

कभी कहीं।

कई बार सुना आज माना है,
जीवन एक बहती धारा है,

कभी कहीं है बेबस बहुत,
तो कहीं मौजूद कोई सहारा है,

कहीं सुना कि काबिल है,
कहीं सुना कि नाकारा है,

कभी ग़ुज़र के आता नहीं,
ये वक्त बड़ा आवारा है,

कभी कहीं पे ऊजड़ जाता ,
कहीं किसी ने संवारा है,

कभी कहीं कोई अनसुना करता,
तो कहीं किसी ने पुकारा है,

कभी कहीं किसी ने दुत्कार दिया,
तो कहीं किसी ने पुचकारा है,

कभी कहीं तो कुछ भी नहीं ,
कहीं कोई दिलकश नज़ारा है,

कभी कहीं तो जीत गया,
कहीं बहुत ही हारा है,

कभी कहीं तो कामयाब बहुत,
कहीं लगता बहुत ही बेचारा है,

कभी कहीं तो मुकर जाता,
तो कहीं सब कुछ स्वीकारा है,

कभी कहीं है अंधियारी रात,
तो कहीं मौजूद चाँद-सितारा है।

कवि-अंबर श्रीवास्तव

Language: Hindi
6 Likes · 4 Comments · 515 Views
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