कभी कभी कुछ प्रश्न भी, करते रहे कमाल।
कभी कभी कुछ प्रश्न भी, करते रहे कमाल।
क्या जीवन की नौकरी, कैसे किया धमाल?
खामोश रहा वो सदा, बोली आंखें मौन
तात हृदय से पूछिए, जग का मालिक कौन?
सूर्यकांत
कभी कभी कुछ प्रश्न भी, करते रहे कमाल।
क्या जीवन की नौकरी, कैसे किया धमाल?
खामोश रहा वो सदा, बोली आंखें मौन
तात हृदय से पूछिए, जग का मालिक कौन?
सूर्यकांत