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8 Sep 2024 · 1 min read

कभी-कभी इंसान थोड़ा मख़मूर हो जाता है!

कभी-कभी इंसान थोड़ा मख़मूर हो जाता है!
निज स्वार्थ के वास्ते सबसे ही दूर हो जाता है!
खुद की दुनिया से हट कर कुछ सूझता ही नहीं,
नींद खुलने पर लौटने को वो मजबूर हो जाता है!

…. अजित कर्ण ✍️

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