कभी एक तलाश मेरी खुद को पाने की।
कभी एक तलाश मेरी खुद को पाने की,
तो कभी एक तलाश तुझसे दूर जाने की।
कभी आयामों में जीवन के खुद को उलझाने की,
तो कभी उस वैराग्य की राहों में खुद को सुलझाने की।
कभी मन के विद्रोह संग खुद को जलाने की,
तो कभी संयम की शीतलता में खुद को डुबाने की।
कभी शून्यता की गहराई में विरक्ति पाने की,
तो कभी संवेदनाओं की धारा में खुद को बहाने की।
कभी अँधेरी रातों में परछाई बन खुद को गंवाने की,
तो कभी तपती दुपहरी की आभा में खुद को जलाने की।
कभी प्रश्न-बाणों की तीक्षणता से खुद को भेद जाने की,
तो कभी शाश्वत-ज्ञान के स्पर्श में खुद को महकाने की।
कभी तीव्र आंधी की गतिशीलता में खुद को उड़ाने की,
तो कभी सागर की तलहटी में खुद को सुलाने की।
कभी ईश्वरीय-प्रकाश की सम्पूर्णता में खुद को सौंप जाने की,
तो कभी तेरे इंतज़ार में जन्मों तक खुद को भटकाने की।
कभी एक तलाश मेरी खुद को पाने की,
तो कभी एक तलाश तुझसे दूर जाने की