Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Feb 2024 · 1 min read

कभी आओ मेरे शहर में

कभी भूलो कभी भटको ,तो आओ मेरे शहर में
कभी जागो कभी भागो ,तो मिल लो दोपहर में I
कभी जब सांसें लगे ,पत्थर से अधिक बोझिल
कभी गुम होने की जो हो मन की कभी ख्वाहिश
संग हम हिलोरे ले ले झूमेंगे चंचल नदी के लहर में I

कभी भूलो कभी भटको ,तो आओ मेरे शहर में
कभी रो जाओ, कभी खो जाओ ,चलो स्वप्निल दहर में I
कभी जब रिमझिम से गिरे फुहार,आई हो बागों में बहार
कभी दुनिया से हो जाए मन ये बेज़ार और निराश
साथ चाय पी लेंगे नए ढाबे पर रात्री के सर्द पहर में !

कभी भूलो कभी भटको ,तो आओ मेरे शहर में ,
मेरे शहर की हर धूप है ख़ुशनुमा चांदनी सी है,
मेरे शहर की हर शाम गुनगुनाती है सुरीले प्रेम- गीत,
मेरे शहर का माहौल है राधा-कृष्ण सा मनमीत !

Language: Hindi
82 Views
Books from Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
View all

You may also like these posts

मेरा हिंदी दिवस
मेरा हिंदी दिवस
Mandar Gangal
सृष्टि के कर्ता
सृष्टि के कर्ता
AJAY AMITABH SUMAN
Adha's quote
Adha's quote
Adha Deshwal
कुछ बूंदें
कुछ बूंदें
शिवम राव मणि
अजनबी से अपने हैं, अधमरे से सपने हैं
अजनबी से अपने हैं, अधमरे से सपने हैं
Johnny Ahmed 'क़ैस'
कविता :- दुःख तो बहुत है मगर.. (विश्व कप क्रिकेट में पराजय पर)
कविता :- दुःख तो बहुत है मगर.. (विश्व कप क्रिकेट में पराजय पर)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
**ईमान भी बिकता है**
**ईमान भी बिकता है**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
हाइकु (#हिन्दी)
हाइकु (#हिन्दी)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
रोम-रोम में राम....
रोम-रोम में राम....
डॉ.सीमा अग्रवाल
जीवनमंथन
जीवनमंथन
Shyam Sundar Subramanian
सुविचार
सुविचार
Sanjeev Kumar mishra
Mental health
Mental health
Bidyadhar Mantry
'मुट्ठीभर रेत'
'मुट्ठीभर रेत'
Godambari Negi
हर एक शक्स कहाँ ये बात समझेगा..
हर एक शक्स कहाँ ये बात समझेगा..
डॉ. दीपक बवेजा
"पंचतंत्र" में
*प्रणय*
31/05/2024
31/05/2024
Satyaveer vaishnav
ख़्यालों में सताना तेरा मुझ को अच्छा न लगा
ख़्यालों में सताना तेरा मुझ को अच्छा न लगा
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
दोहे
दोहे
Sudhir srivastava
जिन्दगी सदैव खुली किताब की तरह रखें, जिसमें भावनाएं संवेदनशी
जिन्दगी सदैव खुली किताब की तरह रखें, जिसमें भावनाएं संवेदनशी
Lokesh Sharma
जिंदगी में रंजो गम बेशुमार है
जिंदगी में रंजो गम बेशुमार है
इंजी. संजय श्रीवास्तव
यह अपना धर्म हम, कभी नहीं भूलें
यह अपना धर्म हम, कभी नहीं भूलें
gurudeenverma198
एक तरफ
एक तरफ
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
कितनों की प्यार मात खा गई
कितनों की प्यार मात खा गई
पूर्वार्थ
2765. *पूर्णिका*
2765. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
@@ पंजाब मेरा @@
@@ पंजाब मेरा @@
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
ग़म का लम्हा, तन्हा गुज़ारा किजिए
ग़म का लम्हा, तन्हा गुज़ारा किजिए "ओश"
ओसमणी साहू 'ओश'
मौत नर्तन कर रही सर पर मेरे....
मौत नर्तन कर रही सर पर मेरे....
दीपक झा रुद्रा
! विकसित भारत !!
! विकसित भारत !!
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
सत्ता काण्ड का प्रारम्भ
सत्ता काण्ड का प्रारम्भ
Arun Prasad
उसके पलकों पे न जाने क्या जादू  हुआ,
उसके पलकों पे न जाने क्या जादू हुआ,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Loading...