कब होंगे टूटे रिश्ते अपने
कब होंगे टूटे रिश्ते अपने
*******************
कब होंगे पूरे अधूरे सपने
कब होंगे टूटे रिश्ते अपने
अहं वहम में सब दूर हुए
आपसी संबंध फितूर हुए
मृगतृष्णा मेघ होंगें छंटने
कब होंगे टूटे रिश्ते अपने
स्वार्थों की आँधी आई हैं
प्रीत हो गई अब पराई है
प्रेमबाँध पड़ेंगे अब बंधने
कब होंगे टूटे रिश्ते अपने
मनमुटाव हद से बढ़ गए
बड़ों के कद अब घट गए
शिष्टाचार पाठ होंगे पढ़ने
कब होंगे टूटे रिश्ते अपने
चुगली निंदा है करिश्माई
परिस्थिति हमने यह पाई
विश्वासों के पुल है मंढ़ने
कब होंगे टूटे रिश्ते अपने
सीमाएं सारी मिटानी है
नजदीकियां पूरी लानी है
खुशियों के बहाएंगे झरने
कब होंगे टूटे रिश्ते अपने
खामख्वाह मैं तुम त्यागो
गहरी निद्रा से तुम जागो
सुखविंद्र पीछे नहीं हटने
कब होंगे टूटे रिश्ते अपने
कब होंगे पूरे अधूरे सपने
कब होंगे टूटे रिश्ते अपने
*******************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)