कब तक यही कहे
💐ना जाने ये क्या अदा 💐
तेरे अनुभव मेरे अनुभव जुदा जुदा है,
तेरे हाथों में चाँदी की चमची आई,
मेरे हाथों में हथ डंडा सदा सदा है,,,
मैं दर दर भटका ठोकर खाई,
तू जिस दर ठिठका रहमत पाई,,
दुःख जीवन में तेरे यदा कदा है,,,
सदा सुहाने पल की खातिर,
हर पल जागे सोने की खातिर,,
फिर लानत जीवन में सर्वदा है,,,
तुम आसानी से सब पाओ जग में,
खून सुधा सा है जैसे तेरी ही रग में,,
हम दंश झेलते जिंदगी जेल यरवदा है,,,
मनु मनुज की मनुजता में भारी अंतर,
हम पत्थर से कंकर वो पत्थर से शंकर,,
थोड़ा तो हमें भी समझो बस यही सदा है,,,
आपका🙏
✍️मानक लाल मनु विनीता मनु Manu Std