कबीरा यह मूर्दों का गांव
कबीरा यह मूर्दों का गांव
उलटे पड़ेंगे सारे दांव…
(१)
फूल बांटने की कोशिश में
घायल होंगे तेरे पांव…
(२)
जैसे ही प्रेम-गीत गाएगा
करने लगेंगे कौए कांव…
(३)
जिनके लिए तू पेड़ बोएगा
छिन लेंगे वही तुझसे छांव…
(४)
सबको पार लगाने में ही
डूब जाएगी तेरी नांव…
(५)
सच के किसी साधक के लिए
बचा नहीं यहां कोई ठांव…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
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