**कफ़न में दफन हुस्न**
**कफ़न में दफन हुस्न**
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कफ़न में ये दफन हुस्न है,
चंद सांसों से ही चमन है।
जब से लगी हमें दिल्लगी,
दिल में न चैन न अमन है।
क्यों इठलाती गोरे रंग पर,
गोरा रंग हो जाना गमन है।
दिल से जियो ये जिन्दगी,
नहीं तो धरती पर वजन है।
झूठा दिखावा है चकाचौंध,
काम आए किया भजन है।
माया,लोभ,क्रोध मनसीरत,
जानलेवा रूपवान हसन है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)