कपूत।
कपूत!
-आचार्य रामानंद मंडल
हो धर्म के ठेकेदार!
तू धर्म के नाश कैला हो!
हो हिंदू के ठेकेदार!
तूं हिंदू के मुंह पर मूतला हो!
हो मनु के संतान!
तू मनुष्यता के नाश कैला हो!
हो ऋषि के संतान!
तू राक्षस पैदा भेला हो!
हो हिंदू के रक्षक!
तू हिंदू के भक्षक बनला हो!
हो जजमान के पूरहित!
तू जजमान के बेइजैत कैला हो!
हो भारत के पुत!
तू कपूत कहबायबा हो!
हो भारत के कपूत!
रामा तोहर निंदा करैत हय हो!
स्वरचित @ सर्वाधिकार रचनाकाराधीन।
रचनाकार -आचार्य रामानंद मंडल सामाजिक चिंतक सह साहित्यकार सीतामढ़ी।