कपड़ों की तरहां मैं, दिलदार बदलता हूँ
कपड़ों की तरहां मैं, दिलदार बदलता हूँ।
मुकाम बदलता हूँ , मैं प्यार बदलता हूँ।।
कपड़ों की तरहां मैं———————।।
हसीन मुखड़ें जो यहाँ, महफ़िल में हैं।
वफ़ा नहीं ये किसी से, बेवफ़ा दिल हैं।।
करके झूठी मोहब्बत, दर्द दे जाते हैं।
कम नहीं है बेशर्म ये, दिल तोड़ जाते हैं।।
मानकर दिल का खिलौना, मैं इनसे खेलता हूँ।
कपड़ों की तरहां मैं———————।।
शौकीन हैं इनके दिल, दौलत और महलों के।
हजार हैं इनके सनम, इन हुर्रों और गुलों के।।
रात ये बनाते हैं रंगीन, शबाब और शराब से।
फैंक देते हैं आशिक को, जैसे हड्डी कबाब से।।
लबों का जाम समझकै, मैं भी इनको पीता हूँ।
कपड़ों की तरहां मैं———————।।
मैंने देखा है इनको, नकाब बदलते हुए।
हर रात इनको, अपनी सेज बदलते हुए।।
पापी मैं ही क्यों, बदकाम ये भी करते हैं।
पल में अपनी जुबां, रंग ये भी बदलते हैं।।
मौज मस्ती के लिए, रोज नया शिकार करता हूँ।
कपड़ों की तरहां मैं———————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)