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18 Jan 2017 · 1 min read

कन्या की छबी न्यारी

शीतल वचन,कोमल मन,स्नेह सुख परिभाषी
मंगल मूरत,नित सेवत,सत चित,प्रकृती से दासी
निसदिन सेवत,प्रेम सहित डोलत,करत सुखराशी
कबंहूँ नहीं मांगत,न कबंहूँ कठोर संकल्प फरमासी

करुनामय,रसमय,लछमी रूपा आनंद सुधा बरसाती
कोयल सी कुंजन करत, तितली सी मंडराती
सृष्टि की अधिकारी,सेवक मान,जग में जी जाती
कल्पतरु सी दाता, अपने दुःख अपने में समाती

कुंठित,भयभीत,लज्जित सा जीवन परे
मात-पिता,अग्रज-अनुज सब अनुशासित करे
जान कष्ट,शांत भाव-सदा ही धीरज धरे
कन्या जनम दुःख दायक, अविवेचक हैं सारे

विचित्र रचना,भ्रमित माया जगने रच राखी
पराया धन ठहराये,जो धन दुःख में सहभागी
करे भेद-भाव, सब विधि,अविवेक-अविचारी
न जानत,जननी रूप कन्या की छबी न्यारी

सजन

Language: Hindi
397 Views
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