कतार में
कतार में
वो है आमजन
जब भी देखो
मिलता है कतार में
कभी रेलवे की
टिकट खिड़की पर
कभी राशन की
सरकारी दुकान पर
कभी गैस-एजेंसी की
कतार में
कभी मंदिर में
माथा टेकने के लिए
कभी मठाधीशों के
चरण छूने के लिए
दिखता है कतार में
ताउम्र नहीं तोड़ पाता
लम्बी कतारें
क्योंकि जब
लगा था मतदाताओं की
कतार में
तब नहीं था
होंशो-हवास में
-विनोद सिल्ला©