*कण-कण शंकर बोलेगा (भक्ति-गीतिका)*
कण-कण शंकर बोलेगा (भक्ति-गीतिका)
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(1)
सुनो गौर से आवाजें तो, हर-हर कंकर बोलेगा
खोज करोगे तो भारत का, कण-कण शंकर बोलेगा
(2)
यह है शिव का व्यथित-रूप जो, महा-विनाशक कहलाता
दंड भयंकर दुष्टों को, देने प्रलयंकर बोलेगा
(3)
महादेव-शिवलिंग हृदय में, धारण करके तो देखो
विस्तृत नभ का हर कोना, प्रिय शुभ अभ्यंकर बोलेगा
(4)
शुभ पर्वत कैलाश हिमालय, नदियों में छवि है उसकी
ध्यान करोगे शिव का तो, हर वृक्ष शुभंकर बोलेगा
(5)
कुआँ ज्ञान का है भारत ही ,सत्य-सनातन की गाथा
दीप मिलेंगे जले हुए, हर युग दीपंकर बोलेगा
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कंकर = कंकड़
प्रलयंकर = प्रलय उत्पन्न करने वाला
अभ्यंकर =अभय करने वाला ,भय से मुक्त करने वाला
शुभंकर = शुभ प्रतीक
दीपंकर = दीपक ,उजाला
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451