Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 May 2022 · 1 min read

*कण-कण शंकर बोलेगा (भक्ति-गीतिका)*

कण-कण शंकर बोलेगा (भक्ति-गीतिका)
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
(1)
सुनो गौर से आवाजें तो, हर-हर कंकर बोलेगा
खोज करोगे तो भारत का, कण-कण शंकर बोलेगा
(2)
यह है शिव का व्यथित-रूप जो, महा-विनाशक कहलाता
दंड भयंकर दुष्टों को, देने प्रलयंकर बोलेगा
(3)
महादेव-शिवलिंग हृदय में, धारण करके तो देखो
विस्तृत नभ का हर कोना, प्रिय शुभ अभ्यंकर बोलेगा
(4)
शुभ पर्वत कैलाश हिमालय, नदियों में छवि है उसकी
ध्यान करोगे शिव का तो, हर वृक्ष शुभंकर बोलेगा
(5)
कुआँ ज्ञान का है भारत ही ,सत्य-सनातन की गाथा
दीप मिलेंगे जले हुए, हर युग दीपंकर बोलेगा
—————————————————-
कंकर = कंकड़
प्रलयंकर = प्रलय उत्पन्न करने वाला
अभ्यंकर =अभय करने वाला ,भय से मुक्त करने वाला
शुभंकर = शुभ प्रतीक
दीपंकर = दीपक ,उजाला
—————————————————-
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

644 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
खोने के लिए कुछ ख़ास नहीं
खोने के लिए कुछ ख़ास नहीं
The_dk_poetry
"मन की संवेदनाएं: जीवन यात्रा का परिदृश्य"
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जिंदगी की राह में हर कोई,
जिंदगी की राह में हर कोई,
Yogendra Chaturwedi
" खास "
Dr. Kishan tandon kranti
एक फूल
एक फूल
अनिल "आदर्श"
हम चुप रहे कभी किसी को कुछ नहीं कहा
हम चुप रहे कभी किसी को कुछ नहीं कहा
Dr Archana Gupta
चित्र आधारित दो कुंडलियाँ
चित्र आधारित दो कुंडलियाँ
गुमनाम 'बाबा'
अनोखा दौर
अनोखा दौर
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
हिंदी दिवस
हिंदी दिवस
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
लोकतंत्र का मंदिर
लोकतंत्र का मंदिर
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
कोहराम मचा सकते हैं
कोहराम मचा सकते हैं
अरशद रसूल बदायूंनी
होली के दिन
होली के दिन
Ghanshyam Poddar
मेरी ज़रूरतें हैं अजब सी बड़ी, कि मैं,
मेरी ज़रूरतें हैं अजब सी बड़ी, कि मैं,
Kalamkash
कभी अंधेरे में हम साया बना हो,
कभी अंधेरे में हम साया बना हो,
goutam shaw
तुझसे उम्मीद की ज़रूरत में ,
तुझसे उम्मीद की ज़रूरत में ,
Dr fauzia Naseem shad
*मितव्ययी व्यक्ति सुख में रहता, साधारण जीवन जीता है (राधेश्य
*मितव्ययी व्यक्ति सुख में रहता, साधारण जीवन जीता है (राधेश्य
Ravi Prakash
एक दिन मजदूरी को, देते हो खैरात।
एक दिन मजदूरी को, देते हो खैरात।
Manoj Mahato
जो लोग धन को ही जीवन का उद्देश्य समझ बैठे है उनके जीवन का भो
जो लोग धन को ही जीवन का उद्देश्य समझ बैठे है उनके जीवन का भो
Rj Anand Prajapati
अपने किरदार से चमकता है इंसान,
अपने किरदार से चमकता है इंसान,
शेखर सिंह
आज के समय में शादियां सिर्फ एक दिखावा बन गई हैं। लोग शादी को
आज के समय में शादियां सिर्फ एक दिखावा बन गई हैं। लोग शादी को
पूर्वार्थ
लोग कहते हैं कि
लोग कहते हैं कि
VINOD CHAUHAN
कवनो गाड़ी तरे ई चले जिंदगी
कवनो गाड़ी तरे ई चले जिंदगी
आकाश महेशपुरी
😊😊😊
😊😊😊
*प्रणय*
मत करना तू मुझ पर भरोसा
मत करना तू मुझ पर भरोसा
gurudeenverma198
46...22 22 22 22 22 22 2
46...22 22 22 22 22 22 2
sushil yadav
मेरी औकात
मेरी औकात
साहित्य गौरव
मानवता
मानवता
विजय कुमार अग्रवाल
#नादान प्रेम
#नादान प्रेम
Radheshyam Khatik
नियति
नियति
surenderpal vaidya
Loading...