जीवन और रोटी (नील पदम् के दोहे)
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
व्यक्ति के शब्द ही उसके सोच को परिलक्षित कर देते है शब्द आपक
उदास रातें बुझे- बुझे दिन न खुशनुमा ज़िन्दगी रही है
वो जो बातें अधूरी सुनाई देती हैं,
हम हरियाला राजस्थान बनायें
थोड़ा दिन और रुका जाता.......
जब बेटा पिता पे सवाल उठाता हैं
आधुनिक भारत के कारीगर
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
*आचार्य बृहस्पति और उनका काव्य*
ना रहीम मानता हूँ मैं, ना ही राम मानता हूँ
International Self Care Day
रख हौसला, कर फैसला, दृढ़ निश्चय के साथ
कई दिन, कई महीने, कई साल गुजर जाते हैं।
ज़िंदगी की उलझनों के सारे हल तलाश लेता।
घर से निकले जो मंज़िल की ओर बढ़ चले हैं,
तेरा-मेरा साथ, जीवनभर का ...
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
लेखक होने का आदर्श यही होगा कि