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11 Jan 2024 · 1 min read

*कण-कण में भगवान हैं, कण-कण में प्रभु राम (कुंडलिया)*

कण-कण में भगवान हैं, कण-कण में प्रभु राम (कुंडलिया)
_________________________
कण-कण में भगवान हैं, कण-कण में प्रभु राम
मन के भीतर जो बसे, करिए उन्हें प्रणाम
करिए उन्हें प्रणाम, सृष्टि सब राम चलाते
कठपुतली हम लोग, जन्म ले जग से जाते
कहते रवि कविराय, पता क्या आगत का क्षण
पर्वत-देह विशाल, बिखर जाती है कण-कण
————————
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

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