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27 Jan 2024 · 1 min read

कठपुतली ( #नेपाली_कविता)

न कुनै प्रगतिवादी चरित्र ,
न त्यस अनुरुपको
कुनै सोच, विचार र सिद्धान्त,
मात्र हल्लाबोलमा रमाउँछ,
टाई-सुटमा एउटा कठपुतली,
समय–समयमा नाटक मञ्चन गर्छ ।

न कुनै योगदान,
न त्यस अनुरुपको
कुनै क्रान्ति, जनसंघर्ष र बलिदान,
एक्लो सत्तापक्ष र प्रतिपक्ष दुई बन्छ,
टाई-सुटमा एउटा कठपुतली,
दोधारे पक्षपाती भूमिका संधै प्रदर्शन गर्छ ।

न कुनै अनुशासन,
न त्यस अनुरुपको
कुनै व्यवहार, आचरण र स्वभाव,
सत्तारस र सरकारमा लिप्त छ,
टाई-सुटमा एउटा कठपुतली,
आत्मा बेची पेटको गुलामी गर्छ ।

न कुनै विचारधारा,
न त्यस अनुरुपको
कुनै सत्यता, बहस र क्रियाकलाप,
मञ्चहरूमा ठीङ्ग उभिन्छ,
टाई-सुटमा एउटा कठपुतली,
मालिकको ईसारामा अस्वभाविक नृत्य गर्छ ।

न कुनै बौद्धिकता,
न त्यस अनुरुपको,
कुनै महानता, सचरित्रता र नैतिकता,
मित्र शक्तिको संधै विपक्षमा छ,
टाई-सुटमा एउटा कठपुतली,
संगै उभिनुको साटो टाउको माथि चढ्न खोज्छ ।
#दिनेश_यादव
कलंकी, काठमाडौं
२०८०/१०/१३
नोट: मधेश प्रज्ञा प्रतिष्ठानको बहुभाषिक कवि गोष्टिका लागि सम्प्रेषित कविता ।

Language: Nepali
1 Like · 228 Views
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