कट गया चालान (हास्य व्यंग्य)
(एक गरीब किसान का लड़का 2nd हैंड बाइक खरीदता है और उसी दिन उसका चालान कट जाता है,पूरा पढ़िए ये हास्य कविता )
कट गया चालान….
धान गेहूं बेच के
खरीदा मोटर साइकिल
मन मेरा खुश था पूरा
उछल रहा था मेरा दिल
20 रु का पेट्रोल डालकर
घूमने निकले बाजार में
पता नही था हमको
चालान कटेगा हज़ार में
दो दोस्त को पीछे बैठा के
निकले थे बड़े शान से
बिना हेलमेट,बिना लाइसेंस
घूम रहे थे आराम से
सपौला स्टाइल में हम
उड़ा रहे थे गाड़ी
स्पीड था इतना
की जैसे हो रेलगाड़ी
ट्रैफिक पुलिस को देख के
स्पीड दिए बढ़ाए
आगे जाके बैरियर से
हम गए टकराए
उड़ कर हवा में
गिरे हम चितांग
आवाज आया ऐसा
जैसे टूट गया हो टांग
कॉलर पड़कर उठाया हमको
ओर लगाये दो झाप
फिर हमको कुछ कुछ
नज़र आया साफ -साफ
मेरी गाड़ी की चाबी थी
अब पुलिस के हाथ मे
नजर घुमाया चारो ओर
दोनों दोस्त नही थे साथ में
लाइसेंस मांगा ,rc मांगा
ओर मांगा हेलमेट
सोचा 500 देकर कर लूंगा
मैं मामला सेट
नही माने पुलिस वाले
था उनको कैमरे का डर
500 के चक्कर मे
कही वो बैठ न जाए घर
पूरा कोशिश किया मैंने
पर वे लोग नही माने
ओर मेरी बाइक को
पुलिस ले गयी थाने
इस नए नियम के चक्कर मे
बेचारा फंस गया गरीब किसान
20 हज़ार की बाइक थी
कट गया 40 हज़ार का चालान
उदास चेहरा लेकर
आया मैं अपना घर
अब मुझको था बस
अपने बाप से डर
सारा किस्सा सुनाया मैंने
सबके उड़ गए होश
अब हमरा बाप बैठ के
सरकार को रहा है कोस
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© पियूष राज