कटेगी हर पीड़ा यूँ ही ..
दुःख होता ना किसी का,
ये बैरी है जीव ये ।
गुरूर ना करो तुम,
भजो नाम हरि का ।।
कटेगी हर पीड़ा यूँ ही हल्के-हल्के।
महसूस करना ,दुःख तुम औरों का,
आंसू खुद बहेंगे ,गीले शिकवे मिटेंगे ।
प्रेम की नसों,हृदय से बहेंगे,
चिंता मिटेगी हरि नाम लेके ।।
कटेगी हर पीड़ा यूँ ही हल्के-हल्के।
अपना पराया, ना समझ किसी को,
समय है बदलता, एक दिन हर किसी का ।
किसी को ना सताओ, ऐसे रह रह के,
हरि के शरण मे, आ जाओ अभी से ।।
कटेगी हर पीड़ा यूँ ही हल्के-हल्के।
रचनाकार –
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।